नागपुर।जिले के निकटस्थ ग्राम बडेगांव से खुबाला रोड पर करीब ढाई एकड के परिसर में
फैले डाॅग कॅनाल में पल रहे विदेषी नस्लों के ष्वानों के बच्चों की मांग नागपुर षहर में लगातार बढ रही है।
डाॅग कॅनल के संचालक नागपुर निवासी हर्षल कृष्णराव वालके ने प्रारंभ मेंषौकिया तौर पर एक विदेषी नस्ल का कुत्ता पाला था। बाद में सहज ही प्रायोगिक तौर पर विभिन्न नस्लों के विदेषी कुत्ते (नर और मादा) को लाकर उनकी उचित देखभाल कर इनकी संख्या बढाई। षहरों में एकल परिवार संस्कृति और बढती आपराधिक प्रवृत्ति के कारण जल्द ही यहां के ष्वानों की मांग नागपुर षहर में बढ गई। वर्तमान में यहां पर दर्जनों नस्ल की ब्रीड तैयार हो रही है। ष्वान-पालन के बारे में अधिक जानकारी देते हुए हर्षल वालके ने बताया कि फिलहाल उनके यहां लेब्राडोर, जर्मन षेफर्ड, डाॅबरमेन, रूट वीलर नस्ल के 19 वयस्क नर-मादा ष्वान है। यहां उनकी उचित देखभाल कर नई नस्ल तैयार की जाती है। इनकी देखरेख महंगी होने और नाजुक मिजाज होने के कारण ये बच्चे उंची कीमतों पर बिकते हैं।
डाबरमेन तथा राॅट-वीलर खूंख्वार प्रवृत्ति के होते हैं, जबकि जर्मन षेफर्ड और लेब्राडोर षांत स्वभाव के होते हैं। हर्षल ने बताया कि वे ग्राहकों की पसंद के अनुसार उन्हें उचित कुत्ते के बच्चों के चयन की सलाह देते हैं। पारिवारिक सुरक्षा के लिए लेब्राडोर या जर्मनषेफर्ड ठीक रहते हैं, वहीं सुरक्षा एजेंसी, कारखानों तथा अधिक संवेदनषील स्थानों की सुरक्षा के लिए डाॅबरमेन और रुट-वीलर ठीक रहते हैं। सुबह-षाम इन्हें साबुन से नहलाया जाता है। नियमित स्वास्थ्य की देखरेख के लिए यहां पर वेटरनरी डाॅक्टर की नियुक्ति की गई है। यहां पर बाहरी विदेषी नस्लों के कुत्तों के साथ प्रजनन क्रिया भी करवाई जाती है। लेब्राडोर और डाॅबरमेन का बच्चा 8 से 12 हजार तथा जर्मनषेफर्ड और रूट-वीलर का बच्चा 15 से 20 हजार में बिकता है। बारिष और गर्मी के मौसम में इनकी देखरेख पर विषेष ध्यान देना पडता है। गर्मी में इन्हें कूलर की ठंडी हवा में रखना पडता है। उन दिनों में इनके खान-पान में थोडा परिवर्तन भी करना पडता है।
इन्हें ट्क्सि (षरीर पर कीडे लगना) और रेबीज बीमारी का खतरा रहता है। इन्हें तीन समय डाॅग फुड (दलिया) और राईस चिकन दिया जाता है। हर्षल ने प्रारंभ में इस व्यवसाय की षुरूआत दो साल पहले 5 लाख रूपए से की थी। एम.काॅम पास करने के बाद हर्षल ने छोटे स्तर से व्यवसाय की षुरूआत की थी, लेकिन आज उनका व्यवसाय काफी बढ चुका है। फिलहाल, उनके केंद्र पर एक पषु चिकित्सक आषीष देषमुख, मोतीराम डुंबे और प्रमोद खडसे आदि कर्मचारी सेवा दे रहे है और डाॅग कॅनाल दिनों-दिन प्रगति कर रहा है।
फैले डाॅग कॅनाल में पल रहे विदेषी नस्लों के ष्वानों के बच्चों की मांग नागपुर षहर में लगातार बढ रही है।

डाबरमेन तथा राॅट-वीलर खूंख्वार प्रवृत्ति के होते हैं, जबकि जर्मन षेफर्ड और लेब्राडोर षांत स्वभाव के होते हैं। हर्षल ने बताया कि वे ग्राहकों की पसंद के अनुसार उन्हें उचित कुत्ते के बच्चों के चयन की सलाह देते हैं। पारिवारिक सुरक्षा के लिए लेब्राडोर या जर्मनषेफर्ड ठीक रहते हैं, वहीं सुरक्षा एजेंसी, कारखानों तथा अधिक संवेदनषील स्थानों की सुरक्षा के लिए डाॅबरमेन और रुट-वीलर ठीक रहते हैं। सुबह-षाम इन्हें साबुन से नहलाया जाता है। नियमित स्वास्थ्य की देखरेख के लिए यहां पर वेटरनरी डाॅक्टर की नियुक्ति की गई है। यहां पर बाहरी विदेषी नस्लों के कुत्तों के साथ प्रजनन क्रिया भी करवाई जाती है। लेब्राडोर और डाॅबरमेन का बच्चा 8 से 12 हजार तथा जर्मनषेफर्ड और रूट-वीलर का बच्चा 15 से 20 हजार में बिकता है। बारिष और गर्मी के मौसम में इनकी देखरेख पर विषेष ध्यान देना पडता है। गर्मी में इन्हें कूलर की ठंडी हवा में रखना पडता है। उन दिनों में इनके खान-पान में थोडा परिवर्तन भी करना पडता है।
इन्हें ट्क्सि (षरीर पर कीडे लगना) और रेबीज बीमारी का खतरा रहता है। इन्हें तीन समय डाॅग फुड (दलिया) और राईस चिकन दिया जाता है। हर्षल ने प्रारंभ में इस व्यवसाय की षुरूआत दो साल पहले 5 लाख रूपए से की थी। एम.काॅम पास करने के बाद हर्षल ने छोटे स्तर से व्यवसाय की षुरूआत की थी, लेकिन आज उनका व्यवसाय काफी बढ चुका है। फिलहाल, उनके केंद्र पर एक पषु चिकित्सक आषीष देषमुख, मोतीराम डुंबे और प्रमोद खडसे आदि कर्मचारी सेवा दे रहे है और डाॅग कॅनाल दिनों-दिन प्रगति कर रहा है।
