टांग उठाकर ही क्यों करते हैं ‘शू’?

आपने कुत्ते को पिछला एक पैर ऊंचा करके पेशाब करते देखा होगा। दीवारों पर बिजली के खम्भों पर, कार-ट़क या दुपहिया वाहनों के टायरों पर ऐसा करने के पीछे आखिर कारण क्या है?
प्राणिशास्त्री कुत्ते की इस आदत के लिए उसकी बुद्धि की दाद देते हैं। प्रत्येक कुत्ता स्वयं जहां रहता है, उस क्षेत्र को अपना प्रदेश मानकर उसमें सभी स्थानों पर अपनी पहचान छोडता जाता है। दूसरे प्राणियों की तरह कुत्तों की पेशाब में भी कुछ ऐसे रासायनिक घटक होते हैं जिसकी तीव्र बू प्रत्येक कुत्ते के केस में बदलती रहती है। फेरोमोंस नामक यह गंध प्रायः सभी कुत्ते आसानी से पहचान सकत हैं। यही घटक कुत्तों के लिए ‘केमिकल मेसेंजर’ जैसा काम देते हैं।

कुत्ता अपनी इस शक्ति का लाभ स्वयं ही उठाता है। एक बार कोई शक्तिशाली कुत्ते ने यहां के कुत्तों को मिली जमात ने एकत्रित होकर जगह-जगह पेशाब करके अपने क्षेत्र की पहचान स्थापित कर दी तो फिर यह ‘सरहद’ पारकर अंदर प्रवेश करने की हिम्मत दूसरे कुत्ते नहीं करते हैं। अपने मालिक के साथ नाता बना रहे, अलग न हो जाए, घर न भूल जाए, इस कारण भी कुत्ता जिस स्थान पर रहता है, उस स्थान पर यहां-वहां पेशाब करके अपने चिन्ह छोडता जाता है। मालिक के घर की साइकल, स्कूटर या कार जैसी चलती फिरती चीजों पर भी कुत्ता इस कारण ही पेशाब करता रहता है। मालिक अपने कुत्ते को लेकर घूमने निकलता है तब भी राह चलते थोडे-थोडे अंतर से पेशाब कर रास्ते में अपने ‘पदचिन्ह’ छोडता जाता है। स्वयं जिस रास्ते से गया था, उसके चिन्ह होने के कारण अलग हो जाने पर भी कुत्ते को रास्ता ढूंढकर घर पहुंच जाने में दिक्कत नहीं पडती है।
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