परिंदों के बीच पराग

लाकेंद्र बायस
आस्ट्रेलिया और साउथ अमेरिका में पाए जाने वाले खूबसूरत परिंदे क्या इंदौर जैसे शहर में आ सकते हैं, क्या इनकी नस्ल को भारतीय माहौल के हिसाब से बढाया जा सता है? जवाब हां में है और यकीन न आए तो पराग लुकतुके से मिल लीजिए। मकाऊ से लेकर काकातुआ को तो वो इंदौर लाया, लेकिन खुद की बनाई हुई विधि से उसने उनकी ब्राडिंग यहीं षुरू कर दी ह। पराग का कहना है कि अफ्रीका के तोते, जिनकी दूम लाल होती है और जो दुनिया में सबसे ज्यादा बोलने वाला होता है, उसकी भी बोलती मैंने बंद कर दी है। तीस से पैंतीस इसकी उम्र होती है। बदन तीन से चार फीट लंबा। इसकी चोंच इतनी ताकतवर होती है कि अखरोट को फोड डालती है। इनका खाना आस्ट्रेलिया से आता है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय संस्था परीक्षण करने के बाद लाने की अनुमति देती है। पराग ने बताया कि इन परिंदों को क्राॅस करने के लिए नरों को ब्राजील और आस्टेªलिया से मंगवाया जा रहा है।

एक बार समागम हो जाता है तो परिंदों की संख्या उम्मीद के मुताबिक बढ जाती है। जब उनसे पूछा गया कि क्या कृत्रिम गर्भाधान परिंदों में भी किया जा सकता है तो उन्होंने इंकार किया और बोला कि जिस तरह मनुष्य के जींस (क्रोमोजोम) अलग-अलग होते हैं, उसी तरह परिंदों में पाई जाती है। आज हम कोयल, टिटहरी, चातक की आवाज सुनने से महरूम हैं तो उसमें कसूर हमारा ही है। एक तरफ मोर को राष्ट्रीय पक्षी बताया जाता है, दूसरी तरफ उसी का षिकार होता है। साइबेरिया से क्रेन उडकर हजारों किलोमीटर तक सफर तय करती है और सिरपुर तालाब तक पहुंच जाती है और यहीं उनका प्रजनन भी होता है। दिक्कत यह है कि उनके अंडों को सहेजने वाला कोई नहीं है। परिंदे देखने में जितने खूबसूरत होते है, उन्हें पालना बेहद मुष्किल होता है, क्योंकि वो इस मुल्क की आबोहवा के आदी नहीं है। एक्जोटिक बर्ड को पालना तो बहुत ही मुष्किल है, लेकिन मैंने यह काम कर दिखाया और हर परिंदा आज मेरी जुबान को समझता है।

पराग लुकतुके को उसके मां-बाप ने घर से बाहर निकालने का फेसला कर लिया था, क्योंकि वो एक घायल परिंदे को लेकर घर आ गया था, जिसे उसके मां-बाप कबूल नहीं कर रहे थे। स्कूली दिनों की बात है, वो नहीं माना और बच्चे जैसा उस परिंदे को नई जिंदगी दी, जिसने उसकी जिंदगी को ही बदलकर रख दिया।
पराग जब यह कहता है कि अगर मुझे शहर में जमीन मिल जाए तो थाईलैंड की तरह यहां एक इतना बडा एक्वेरियम बना सकता हूं, जिसमें शार्क के साथ दुनिया की तमाम मछलियां देखने को मिल सकती हैं, जिन्हें आप आज छोटे-छोटे पाॅट में देख रहे हैं। पराग का कहना है कि मैं सोच रहा हूं कि दुनिया का सबसे बडा परिंदा एल्बेट्रास जिसके पंखों का फै लाव चैदह फुट का होता है और स्केंडेनेविया में पाया जाता है। उसे इंदौर शहर के लोगों से परिचित करवाऊंगा। ( साभारः प्रभात किरण)
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